Mahapurus kaise kast me bhi sahaj aur sant rahte hai.
Technical mythology
शेख फरीद से लोगों ने पूछा -'ऐसा क्यों होता है कि !महापुरुषों को कष्ट में भी कोई तकलीफ नहीं होती ,वह मुस्कुराते रहते हैं? शेख फरीद ने मुस्कुराते हुए प्रत्युत्तर में प्रश्न किया ।क्या तुमने सूखा गीला नारियल देखा है ?सुनने वालों ने सहमति में सिर हिलाया तो,शेख फरीद ने बोला -'जिस प्रकार गीले नारियल में गिरी,और खोल परस्पर चिपके रहते हैं, उसीप्रकार सामान्य मनुष्य ,शरीर से संसारसे चिपके रहते हैं ,और थोड़े ही कष्टों से दुखी हो जाते हैं ।परंतु महापुरुष उस सूखे नारियल की तरह होते हैं ,जिसमें गिरीऔर खोल एकदम अलग होते हैं । वे विषय एवं वासनाओं से बंधे नहीं रहते , इसलिए दुख और कष्ट की घड़ी में भी आत्मा के तल पर निवास करते हैं और इसलिए कष्टों में भी मुस्कुराते रहते हैं ।उनकेचेहरे पर शिकन नहीं होती ।वह सांसारिक मोहमाया बंधन से ऊपर उठ चुके होते हैं। इस तरह से शेख फरीद ने महापुरुषों के जीवन के बारे में सूखे और गीले नारियल के उदाहरण से सरल तरीके से बतलाया।
शेख फरीद से लोगों ने पूछा -'ऐसा क्यों होता है कि !महापुरुषों को कष्ट में भी कोई तकलीफ नहीं होती ,वह मुस्कुराते रहते हैं? शेख फरीद ने मुस्कुराते हुए प्रत्युत्तर में प्रश्न किया ।क्या तुमने सूखा गीला नारियल देखा है ?सुनने वालों ने सहमति में सिर हिलाया तो,शेख फरीद ने बोला -'जिस प्रकार गीले नारियल में गिरी,और खोल परस्पर चिपके रहते हैं, उसीप्रकार सामान्य मनुष्य ,शरीर से संसारसे चिपके रहते हैं ,और थोड़े ही कष्टों से दुखी हो जाते हैं ।परंतु महापुरुष उस सूखे नारियल की तरह होते हैं ,जिसमें गिरीऔर खोल एकदम अलग होते हैं । वे विषय एवं वासनाओं से बंधे नहीं रहते , इसलिए दुख और कष्ट की घड़ी में भी आत्मा के तल पर निवास करते हैं और इसलिए कष्टों में भी मुस्कुराते रहते हैं ।उनकेचेहरे पर शिकन नहीं होती ।वह सांसारिक मोहमाया बंधन से ऊपर उठ चुके होते हैं। इस तरह से शेख फरीद ने महापुरुषों के जीवन के बारे में सूखे और गीले नारियल के उदाहरण से सरल तरीके से बतलाया।
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete