Moral story of a legend.



आज के दौर में लोग  उधार लेकर भी शौक पूरा करते हैं। मगर
 मैं आज एक ऐसे व्यक्ति की storyकोसुनाने जा रहा हूं, जिस ने अपने कर्मों से देश एवं समाज को एक नई दिशा दी, और सबकेसामने मिशाल  पेश किया।
           बात सन् १८८० की है,स्कुल के प्रधान बच्चों को बता रहे थे कि परसों आप सब को पिकनिक पर ले जाया जाएगा। अतः, आप सब लोगों को घर से कुछ खाने का सामान लेकर आना है।
              एक बच्चा जो उसी स्कूल में पढ़ाई करता था ने अपने, मां को सा री बातों को बताया। मां ने कहा कि-'बेटाघर में, सिर्फ खजूर हीं बचीं हुई है और घर पर मेरे पास पैसे भी नहीं है।तभी पिताजी भी आ गये। लड़के ने अपने पिता को भी पिकनिक की बात बताई, और पूछा कि- 'क्या आप के पास पैसे हैं'? पिताजी ने कहा कि,-'नहीं! मेरे पास भी पैसे नहीं हैं।
पर कोई बात नहीं है , मैं पड़ोसी से मांग लाता हूं।'मगर उस स्वाभिमानी लड़के ने अपने पिता को रोकते हुए कहा कि,'-पिताजी! उधार की पिकनिक से पिकनिक न जाना ठीक है।
जानते  हैं किवो स्वाभिमानी लड़का कौन था?
          दोस्तों वो स्वाभिमानी लड़का और कोई नहीं बल्कि पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी थे। और उनके पिता जी थे, लाला राधाकृष्ण राय।
                आज की story का moral है कि उधार की पिकनिक अच्छी बात नहीं। अपने इच्छा पर हमें नियंत्रण रखना चाहिए।

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