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Showing posts from May, 2020

Nice mythological story about स्कंद पुराण:-वट सावित्री व्रत कथा।(भाग -०१)

Technical mythology         In this block of mine you will get moral mythological and historical stories of the world.         Hello friends, दोस्तों,मैं आज आपसे वट सावित्री व्रत की,कहानी शेयर करने जा रहा हूं। यह व्रत सुहागिन स्त्रियां जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या के दिन मध्यान्ह काल में वटवृक्ष के मूल में पूजा करके करती है। इस व्रत की दो कथाएं हैं। इन दो कथाओं में पहली कथा जो महा सती सावित्री से संबंधित है, वह मैं आपसे शेयर कर रहा हूं।     "अमायांच तथा ज्येष्ठे वट भूले महासती।                    त्रिरात्रोपोषिता नारी विधानेन प्रपछजयेत्।  सावित्रीं  प्रतिमां कुय्यार्तत्सौवर्णा वापिस मृण्मयीम्। संतधान्येन् संयुक्ता सावित्रीं प्रतिमां शुभाम्।          ‌‌‌सार्दंध् सत्यवती साध्वीं फलनैवेद्ध दीपकै़। सावित्र्याख्यानकंचापि वाचयित्वा द्विजौत्रमैरिति।।" अर्थात्-ज्येष्ठ मास में,वटवृक्ष के मूल् में, सावित्री की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर,सात प...

Nice mythological,moral, historical story about(महाराजा रंजीत सिंह की वीरता)

 Moral mythological and historical story about महाराजा रंजीत सिंह।            दोस्तों आप सभी जानते हैं कि, महाराजा रंजीत सिंह ने पूरे पंजाब को अफगानों  के आतंक से मुक्त कराया। उन्होंने न सिर्फ पंजाब, बल्कि अफगानों सेउन्हीं के क्षेत्र पेशावर और जमरूद को भी उनसेछीन लिया। आज मैं आपसे उन्हीं के अफ़गानों से हुए युद्ध का एक किस्सा बयान करने जा रहा हूं। बात दरअसल यह है कि, पेशावर को जीतकर महाराजा ने अपने थाने वहां लगा दिए,और अपने सिपहसालार को 500 की फौज देकर उसकी हिफाजत के लिए तैनात कर दिया। जब तक महाराजा पेशावर में रहे ,किसीअफगानिओ की हिम्मत,उस तरफ हमले की नहीं हुई। लेकिन जैसे ही महाराजा कुछ राजनीतिक कारणों से वापस अमृतसर लौटे ,तो अफ़गानों की 10000 की फौज ने पेशावर पर हमला करके लूटपाट शुरू कर दिया। महाराजा महाराजा की फौज में मात्र 500 सिपाही थे।अतः उनके फौजदार ने मुकाबला करने से बेहतर शहर खाली करना उचित समझा।वह शहर खाली कर वापस महाराजा रंजीत सिंह के पास लौट आया ।और अफगानों के हमले की जानकारी दी। महाराजा ने गुस्से में पूछा:-"बिना हमले का जवाब दिए, तु...

Nice mythological story about ब्रह्म वैवर्त पुराण(देवी सीता और द्रौपदी के पूर्व जन्म की कथा)

Technical mythology           राजा कुशध्वज ने महालक्ष्मी की तपस्या करके पृथ्वी पति होने का वरदान प्राप्त किया। साथ ही महालक्ष्मी ने अपने अंश से उनके यहां जन्म लेने का भी वरदान उनको दिया। समय आने पर राजा कुशध्वज और उनकी पत्नी मालावतीके यहां,लक्ष्मी अपने एक अंश से,देवी वेदवती के रूप में जन्म ग्रहण किया। उस कन्या ने जन्म लेते ही,सूतिका गृह में वेद मंत्रों का उच्चारण किया था। इसलिए राजा ने उनका नाम वेदवती रखा। वेदवती ने भगवान नारायण को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए ,कठोरतप करना शुरू कर दिया। गंधमादन पर्वत पर चिरकाल तक तप करके,वह वहीं विश्वस्त हो रहने लगी। एक दिन दुरात्मा रावण वहां आया। वेदवती ने अतिथि धर्म के अनुसार उसका स्वागत सत्कार किया।                      वह देवी परम सुंदरी थी। उन्हें देख कर रावण के मन में पाप आ गया और वो वेदवती को हाथ से पकड़ कर खींच लिया।उसकी कुचेष्टा को देखकर उस साध्वी का मन क्रोध से भर उठा। उसने रावण को अपने तपोबल से इस प्रकार स्तंभित कर दिया कि, वह अब हिल -डोल भी नहीं सकत...

Nice moral story-(कर्तव्य परायणता)

Technical mythology         उज्जैन रियासत में महाराजा सज्जन सिंह का राज्य था। महाराजा बड़े ही न्याय प्रिय एवं प्रजा पालक थे। चारों और उनकी बड़ी ख्याति थी। रियासत के एक विशेष कार्यालय में, श्री श्रीनिवास नाम के एक वरिष्ठ अधिकारी थे। यह कार्यालय वस्तुतः राज्य के विनिर्माण क्षेत्र का कार्य देखता था।श्री निवास जी बेहद आत्मीयता एवं सज्जनता से अपने कर्मचारियों से व्यवहार करते थे, और बेहद ही इमानदार भी थे। उनके कार्यालय के अफसर उनके इस ईमानदारी और सज्जनता का फायदा उठाते हुए, खर्च  के झूठे कागजात तैयार कर धोखे से श्रीनिवास जी से हस्ताक्षर करवा लिए।श्री श्रीनिवास जी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर भरोसा करते थे,अतः उन्होंने खर्च के संबंध में पूछताछ नहीं की। सरकारी कोष एक बड़ी रकम उन बेईमान कर्मचारियों के हाथ आ गई। किंतु अपराध छिपा नहीं रहता। दूसरे विभाग के कुछ लोगों को इसका पता चल गया। उन्होंने महाराज से शिकायत कर दी।                     महाराज भी श्री श्रीनिवास जी के इमानदारी से परिचित थे। मगर शासन की व्यवस्था बनाए रखने...