Nice mythological,moral, historical story about(महाराजा रंजीत सिंह की वीरता)
Moral mythological and historical story about महाराजा रंजीत सिंह।दोस्तों आप सभी जानते हैं कि, महाराजा रंजीत सिंह ने पूरे पंजाब को अफगानों के आतंक से मुक्त कराया। उन्होंने न सिर्फ पंजाब, बल्कि अफगानों सेउन्हीं के क्षेत्र पेशावर और जमरूद को भी उनसेछीन लिया। आज मैं आपसे उन्हीं के अफ़गानों से हुए युद्ध का एक किस्सा बयान करने जा रहा हूं।
बात दरअसल यह है कि, पेशावर को जीतकर महाराजा ने अपने थाने वहां लगा दिए,और अपने सिपहसालार को 500 की फौज देकर उसकी हिफाजत के लिए तैनात कर दिया। जब तक महाराजा पेशावर में रहे ,किसीअफगानिओ की हिम्मत,उस तरफ हमले की नहीं हुई। लेकिन जैसे ही महाराजा कुछ राजनीतिक कारणों से वापस अमृतसर लौटे ,तो अफ़गानों की 10000 की फौज ने पेशावर पर हमला करके लूटपाट शुरू कर दिया। महाराजा महाराजा की फौज में मात्र 500 सिपाही थे।अतः उनके फौजदार ने मुकाबला करने से बेहतर शहर खाली करना उचित समझा।वह शहर खाली कर वापस महाराजा रंजीत सिंह के पास लौट आया ।और अफगानों के हमले की जानकारी दी। महाराजा ने गुस्से में पूछा:-"बिना हमले का जवाब दिए, तुम लौट कैसे आए"?? उनके फौजदार ने अदब के साथ जवाब दिया कि:-"महाराजा साहब!अफगानिओं के पास 10000 की फौज थी।हम लोगों के पास मात्र 500 की सेना। ऐसे में उनसे मुकाबला हम कैसे करते। इसलिए मैं पीछे हट गया"। उसके इस उत्तर से महाराजा खफा हुए । और मात्र 500 की सेना लेकर उन्होंने अफगानीसेना के ऊपर हमलाकर दिया। और उन्होंने अफगानी सेना को वहां से खदेड़ दिया। अफगानी सेना के भागने के बाद महाराजा ने अपने फौजदार से पूछा कि,:-" बताओ मेरे पास कितने सिपाही थे"? फौजदार ने सर झुका के बोला" मात्र 500"। और 'अफगानीसेना में कितने सिपाही थे'? फौजदार ने सर झुका कर जवाब दिया '10000'।' फिर भी वह हार गए हमसे!ऐसाक्यों'? फौजदार ने जवाब दिया" महाराज!आपकी वीरता से वह हार गए'"। महाराजा ने कडकते हुए जवाब दिया" मेरी वीरता के कारण नहीं ,हमसब की वीरता के कारण वह हारे"। उन्होंने कहा" गलतकार्य करने वालों की फौज हजारों लाखों की क्यों ना हो वह मुट्ठी भर सिपाहियों की हिम्मत और हौसलों से टकराकर हार ही जाती है। मुट्ठी भर सिपाहियों की हिम्मत लाखों अताताईयो की सेना पर भारी होती है। मैं तुम्हें यही सिखाना चाहता था। इसीलिए लाखों की फौज होते हुए भी मैं मात्र 500 की सेना लेकर इनसे मुकाबला किया"। सिपहसालार ने सर झुका कर अपनी गलती स्वीकार की और आगे से दोबारा बिना मुकाबला किए पीछे हटने की गलती नहीं करने का वचन दिया।
- इसmoral mythological and historical story हमें यह सीख मिलती है कि, जुल्म करने वालों की संख्या,भले ही कितनी भीक्यों ना हो? उनसे मुकाबला करने वाले लोगअगर, कम ही संख्या में क्यों ना हो, अगर हिम्मत दिखाएं और डट जाए,तो उन्हें पराजित कर सकते हैं? यही इस कहानी की सीख है।
veryVery Nice moralstory.
ReplyDeleteThanks again.
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