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Showing posts from June, 2020

नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ जी के जन्म की अद्भुत कहानी

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Technical mythology Well come back friends, today moral mythological and historical stories ke is aank me Maine Aaj aapko नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ से संबंधित जानकारी शेयर कर रहा हूं, आशा है कि आपको यह स्टोरी पसंद आएगी।              एक बार गुरु मछिंद्रनाथ गोरखपुर के किसी ग्राम में आए हुए थे। गुरु मछिंद्रनाथ बहुत ही पहुंचे हुए संत थे। वह एक बार भिक्षा मांगने एक साहूकार के घर में गए। साहूकार के घर में उसकी पत्नी थी। गुरु मछंदर नाथ ने आवाज लगाई। उनकी आवाज सुनकर वह महिला घर के बाहर आई। उसका चेहरा उतरा हुआ था,उसके उतरे चेहरे को देखकर गुरु मछिंद्रनाथ ने उससे पूछा कि:--" आपको क्या कष्ट है ?मुझे बताओ मैं आपके कष्ट को हरण करने की कोशिश करूंगा।" वह महिला बोली-- "महाराज! शादीके कई साल बाद भी, मेरी कोई संतान नहीं है!इसलिए मैं दुखी हूं।" इस पर गुरु मछिंद्रनाथ ने उसे अपनी सिद्ध भभूत प्रदान किया, और कहा इस को आप खा लेना, निसंदेह आपको एक दिव्य संतान की प्राप्ति होगी। उसके बाद गुरु मछिंद्रनाथ उस महिला के के घर से विदा लिया। इस घटना के 12 वर्ष बीत गए। 12 वर्...

Nice Moral story( नास्ति सत्यात्परो धर्म ःः)

Technical mythology             Hi dosto Mai moral mythological historical stories ke is aank me aapko सत्य जो सभी वर्णों में विकार रहित है, से संबंधित कहानी को शेयर कर रहा हूं। यह एक सत्य घटना है, जो राजस्थान के जयपुर के करीब आजादी से पूर्व घटा था।       राजस्थान के जयपुर शहर के पास, घोड़ी नामक एक गांव है। उस गांव में घाटम नाम का एक मीणा जनजाति का व्यक्ति रहता था। उसके पुरखे चोरी से ही अपना भरण-पोषण करते थे। अतः घटम भी इसी धंधे में उतर गया ।वहभी चोरी करके ही अपना जीवन व्यतीत करने लगा। एक दिन उसने एक महात्मा का प्रवचन सुना। प्रवचन सुनकर वह उस महान आत्मा को मन ही मन प्रणाम किया। और उनका शिष्य बनने का प्रण कर लिया। ऐसा प्रण करके, वह उन महात्मा के पास गया। और खुद को अपना शिष्य बनाने का आग्रह किया।महात्मा ने बड़े स्नेह से उसे कहा,:--"बेटा घाटम! तू चोरी छोड़ दे।" इसपर घाटम ने कहा, :--" मैं अगर चोरी दूंगा तो, अपने परिवार का पालन कैसे करूंगा। मेरी तो आजीविका ही चोरी है। आप अन्य कोई भी आज्ञा गया दे,तो मैं उसे पालन करने को तैयार हूं"। इसपर महात्मा ...

Nice story about Gandhi Ji(लाठी का रहस्य)

Technical mythology        Moral, mythological and historical stories ke is aank me Maine Aaj आप सभी से, गांधीजी के, लाठी से, जुड़े कुछ रहस्यों को, बताने जा रहा हूं।दोस्तों! आपने अक्सर गांधी जी के फोटो को देखा होगा। जिसमें वह हमेशा लाठी लिए दिखते हैं, चाहे वह कोई आंदोलन की हो या कोई सभा की, हर जगह गांधीजी की तस्वीर , बिना लाठी के पूरी नहीं होती।आखिर क्या है उनके इस लाठी का रहस्य? क्यों बिना लाठी के गांधी जी का कोई चित्र पूरा नहीं होता?आज आप इसी रहस्य को इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे।         बिहार के मुंगेर जिले में घोरघाट नाम का एक गांव है। यह गांव,बरियारपुर थाने से, ०8 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। इसी गांव का एक टोला है, कठाई टोला। इसी टोले में, उस वक्त एक खास किस्म की लाठी का निर्माण किया जाता है था। इस लाठी का उस वक्त कई देशों में काफी डिमांड था। नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान और खुद ब्रिटेन  मेंे भी इस लाठी की बहुत मांग थी। उस वक्त इन देशों की पुलिस का प्राथमिक हथियार लाठी ही होता था। और इस लाठी की सप्लाई इसी मुंगेर जिले के कटाई टोला से हो...

भार्याधींऩः शुभोदयंं़(लोगो का स्वभाव को खाने वाले राक्षस एवं एक ब्राह्मण की कथा) मार्कंडेय पुराण से

Technical mythology                     Well come back friends, today moral, mythological and historical stories ke is aank me Maine आपको मार्कंडेय पुराण की एक कहानी शेयर कर रहा हूं।यह कहानी पत्नी के महत्व के बारे में हमारे वेद शास्त्र में एवं पुराणों में  क्या वर्णित किया गया है ?यह बात बतलाता है।                 " दु़ःशीलापि  तथा भार्या पोषणीय नरेश्वरः।                               ‌     भार्याधीन शुभोद़यंः।।   "  राजा उत्तम, महाभागवत ध्रुव के छोटे भाई थे। इनकी माता का नाम सुरुचि था। इनकी पत्नी का नाम बहुला था।राजा उत्तम अपनी पत्नी को बहुत प्रेम करते थे। मगर संयोग से, इनकी पत्नी,उनके प्रेम को समझ न सकी। उसे राजा के प्रवचन भी कड़वे लगते थे। और अक्सर उनका तिरस्कार करती थी। अपनी बार-बार केअवहेलना से, राजा को अंततः क्रोध आ गया। और उन्होंने अपने सैनिकों को बुलवाकर, रानी को निर्ज...

परदुखकातरता

Technical mythology Hi dosto, Mai moral, mythological and historical stories ke is aank me, AAP sabhi logo ka स्वागत करता हूं।           "जाके पैर न फटी विवाई,       ‌‌‌                     ‌‌‌     वो क्या जाने पीर पराई।" दोस्तों! इस दोहे को आपने पढ़ा होगा। मैं आज आपको,जो कहानी शेयर कर रहा हूं,वह इसी दोहे पर आधारित  है। और  यह सच्ची घटना पर आधारित है।यह बात एक विश्वविद्यालय की है, जहां के प्राध्यापक,अपने उपकुलपति से, है बहुत हैरान रहते थे। प्राध्यापक अपने विद्यार्थियों को जो भी दंड देते, उपकुलपति उसको माफ कर देते। विश्वविद्यालय के तमाम प्राध्यापक, यह सोचते रहते कि, ऐसे कैसे चलेगा? विद्यार्थी उनकी बात कैसे मानेंगे? साथ ही इससे विश्वविद्यालय में उच्चश्रृंखलता पैदा हो जाएगी। मगर बात उपकुलपति की थी, अतः उनकी हिम्मत नहीं होती थी, उनसे बात करने की। वे काफी दिनों तक,सारी बातें सहन करते रहे।मगर जब उन्होंने यह महसूस किया कि, उपकुलपति के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा ,तब सभ...

मां निषाद प्रतिष्ठां -----------काम मोहितंम्। इस श्लोक का दूसरा अर्थ (रामायण से)

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Technical mythology              Moral mythological and historical stories ke is aank me Maine आपको रामायण महाकाव्य के सबसे प्रसिद्ध श्लोक,जिसने महर्षि बाल्मीकि को, संपूर्ण रामायण को रचने की प्रेरणा दी, उसके दूसरे अर्थ से अवगत कराने जा रहा हूं। श्लोक निम्न वत है:--         " मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम शाश्वती समा़ं।                     यत क्रौंच मिथुनादेकम वधीं काम मोहितम्"।। यह श्लोक महर्षि वाल्मीकि के मुंह से व्याध के लिए निकला था। क्रौंच पक्षी के आर्तनाद् से दुखी हो, महर्षि बाल्मीकि के मुख से अनायास ही श्राप के रूप में यह श्लोक निकला था। बाद में उन्होंने संपूर्ण रामायण महाकाव्य,इसी श्लोक की प्रेरणा से लिखी।                दोपहर का समय था। महर्षि बाल्मीकि अपने आश्रम के समीप, तमसा नदी के तट पर ,प्रकृतिके सुकुमार, सुंदरता का आनंद ले रहे थे। तमसा मंद गति से बह रही थी।वसंत के ऋतु में तरह -तरह के फूल खिले हुए थे, जो तमसा के आसपास ...

Nice mythological story about (वट सावित्री व्रत कथा भाग ०२- नाग नागिन की कहानी)

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Technical mythology           Well come back friends, today  moral mythological and historical stories ke is aank me I told you a very nice mythological story about ( वट सावित्री व्रत कथा भाग०२-:-नागिन की कहानी)- दोस्तों यह कथा आमतौर पर लोग नहीं जानते हैं। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि ,वट-सावित्री के अंतर्गत सिर्फ सावित्री और सत्यवान की कहानी ही सुहागिन स्त्रियां,व्रत के समय सुनती व पढ़ती है । मगर हकीकत यह है कि, सावित्री -सत्यवान के कथा के अलावे पूर्वांचल क्षेत्र में, विशेषकर मिथिला में, सावित्री-सत्यवान के साथ-साथ,नाग नागिन की कहानी भी स्त्रियां व्रत करते समय सुनती हैं। दोस्तों! मैं आज आपको इसी दुर्लभ कहानी को, आपसे शेयर करने जा रहा हूं। यह  कहानीमिथिला प्रदेश की है जहां एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण श्रीकाशीनाथ झा अपनी पत्नी माया देवी के साथ रहते थे।पंडित श्री काशीनाथ झांकी पूरे इलाके में अपनी विद्वता के कारण चर्चा होती थी। वह बहुत बड़े ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता थे। उनकी पत्नी भी बेहद साध्वी  थी। उनकी पत्नी रोज अपने हाथ से खाना बनाती थी। ...