नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ जी के जन्म की अद्भुत कहानी

  • Technical mythology
  • Well come back friends, today moral
mythological and historical stories ke is aank me Maine Aaj aapko नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु गोरखनाथ से संबंधित जानकारी शेयर कर रहा हूं, आशा है कि आपको यह स्टोरी पसंद आएगी।
             एक बार गुरु मछिंद्रनाथ गोरखपुर के किसी ग्राम में आए हुए थे। गुरु मछिंद्रनाथ बहुत ही पहुंचे हुए संत थे। वह एक बार भिक्षा मांगने एक साहूकार के घर में गए। साहूकार के घर में उसकी पत्नी थी। गुरु मछंदर नाथ ने आवाज लगाई। उनकी आवाज सुनकर वह महिला घर के बाहर आई। उसका चेहरा उतरा हुआ था,उसके उतरे चेहरे को देखकर गुरु मछिंद्रनाथ ने उससे पूछा कि:--" आपको क्या कष्ट है ?मुझे बताओ मैं आपके कष्ट को हरण करने की कोशिश करूंगा।" वह महिला बोली-- "महाराज! शादीके कई साल बाद भी, मेरी कोई संतान नहीं है!इसलिए मैं दुखी हूं।" इस पर गुरु मछिंद्रनाथ ने उसे अपनी सिद्ध भभूत प्रदान किया, और कहा इस को आप खा लेना, निसंदेह आपको एक दिव्य संतान की प्राप्ति होगी। उसके बाद गुरु मछिंद्रनाथ उस महिला के के घर से विदा लिया। इस घटना के 12 वर्ष बीत गए। 12 वर्ष बाद, फिर गुरु मछिंद्रनाथ उस महिला के दरवाजे पर पहुंचे। वह यह सोचकर पहुंचे थे कि, उस महिला के पुत्र को अपना आशीर्वाद देंगे। उन्होंने उस महिला से पूछा कि-" माता जी आपका पुत्र अब कैसा है?उस महिला ने जवाब दिया,कि महाराज!मैंने अपने पति के डर से, उस भभूत को खाया ही नहीं । इस इस पर मच्छिंद्रनाथ ने कहा--" तो फिर उस भभूत का आपने क्या किया"? उस महिला ने जवाब दिया:_--" महाराज! मैंने अपने पति के डर से उस भभूत को फेंक दिया।" गुरु ने उनसे कहा:--" कि चलो मुझे आप दिखाओ कि, आपने उसे कहां फेंका"। इस बात पर उस महिला ने उनको ले जाकर एक गड्ढे की तरफ इशारा करके बोलाकि,--"मैंने उसजगह पर आप की दी हुई भभूत को फेंक दिया था"। गुरु मछिंद्रनाथ उस गड्ढे के पास जाकर देखा तो वह गड्ढा गोबर से भरा हुआ था। मगर वहां एक गाय खड़ी थी,जो वहां अपना दूध गिरा रही थी। दरअसल गुरु मछिंद्रनाथ बहुत पहुंचे हुए संत थे। और उनका  दिया हुआ वह दिव्य भभूत, सिद्ध भभूत था। वह बेकार नहीं जा सकता था। गुरु मछिदर नाथ उस गोबर से भरे हुए गड्ढे के पास गए,और उन्होंने उस बालक को पुकारा। उस गोबर भरे गड्ढे से एकाएक एक बच्चा निकलकर उनके सामने आ गया। उसने उनको प्रणाम किया। गुरु मछंदर नाथ के इस चमत्कार को देखकर वह महिला विस्मित हो गई। गुरु ने उनको कहा --"तुमने मेरे भभूत का विश्वास नहीं किया,अगर विश्वास किया होता, तो आज यह बच्चा तुम्हारा पुत्र होता"। मगर अब मैं इसे अपने साथ लिए जा रहा हूं। आप इस तरह से गुरु मछिंद्रनाथ ने उस बालक को अपने साथ अपने आश्रम में ही रखकर पाला और उसको अपना शिष्य बना कर शिक्षा दीक्षा दी। और बड़ा होकर पूरी दुनिया ने  उसबालक को गोरख नाथ के नाम से जाना। क्योंकि उस बालक का जन्म गोबर से भरे हुए गड्ढे से हुआ था ,औरगाय ने अपना दूध पिला कर पाला था,इसलिए उस बालक का नाम गोरक्षनाथ या गोरखनाथ रखा गया था। गोरखनाथ ने अपने गुरु मछिंद्रनाथ से योग शिक्षा ली। उन्होंने  हट योग द्वारा  भगवानशिव से भी कई सारी सिद्धियां प्राप्त की। उन्हें शिव का अवतार भी माना जाता है। उनके द्वारा लिखी गई साबर तंत्र बेहद ही सिद्ध माना जाता है। यह मंत्र स्वतः सिद्ध है,इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ती। और यह मंत्र साधारण बोलचाल की, देशज भाषा में है।  गोरखनाथ के ही नाम पर,गोरखपुर जिला का नाम पड़ा है। साथ ही नेपाल के जो निवासी गोरखे हैं, वह खुद को गोरखनाथ के ही शिष्य मानते हैं। और आज भी गोरखे, गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ का जो गौ रक्षा पीठ है, उससे अपना जुड़ाव महसूस करते हैं। गोरखनाथ को हठयोग का भी जनक माना जाता है। आज भी उनकी गोरखवानी बेहद ही प्रसिद्ध है, कबीर ने भी उनके गोरख वाणी से सीख लेते हुए, अपनी साखी की रचना की है।
  Is tarah se aaj Maine MORAL mythological and historical stories ke is aank me aapne गुरु गोरखनाथ के जन्म से संबंधित कहानियों को जाना। धन्यवाद आपका।

Comments

Popular posts from this blog

मां निषाद प्रतिष्ठां -----------काम मोहितंम्। इस श्लोक का दूसरा अर्थ (रामायण से)

Nice mythological story about (वट सावित्री व्रत कथा भाग ०२- नाग नागिन की कहानी)