एक बंदर कैसे श्री राम जी की पवित्र नगरी अयोध्या को दहलने से बचाया।

दोस्तों आप लोगों को आज अयोध्या में प्रभु श्री राम  की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की हार्दिक शुभकामनाएं ।इस अवसर पर मैं एक अद्भुत घटना का जो श्री राम लाल से संबंधित है का वर्णन करने जा रहा हूं ।इस अद्भुत घटना में हम जानेंगे कैसे? एक बंदर ने ,प्रभु श्री राम की नगरी ,अयोध्या को दहलाने से बचाया दोस्तों यह घटना बेहद ही रोचक एवं अद्भुत है ।
          दोस्तों बात 1998 की है, जब हूजी के आतंकियों ने, अयोध्या में बने प्रभु श्री राम के अस्थाई टैन्ट में बने मंदिर को, उड़ाने की तथा देश को सांप्रदायिक दंगों के आग में झोंकने व दहलाने की प्लानिंग की ।
देश के किसी अखबार ने उनके इस साजिश के बारे में विस्तार से नहीं बताया ।
      मगर जब आज हमारे आराध्य, प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर 500साल बाद पुनः अयोध्या में स्थापित हो रहा है,तो मैं भी इस अद्भुत  घटना का विस्तृत विवरण आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं ।ताकि आपभी जान सके,कि कैसे ?एक छोटे से बंदर ने प्रभु श्री राम जी के इस नगरी को दहलाने आतंकियों के साजिश को विफल किया ।
         बात 1998 ईस्वीं की है ,जब हूजी के आतंकियों ने देश के अन्य भागों की तरह हीं, भगवान श्री राम की ,अयोध्या नगरी को भी दहलाने की साजिश रची।साजिश को अंजाम देने के लिए 20 किलो आरडीएक्स को भी अयोध्या में   पहुंचा दिया ।हालांकि  सुरक्षा बलों को ,इंटेलिजेंस एजेंसियों से हूजी के इस योजना की जानकारी  लग गई ।और उन्होंने पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था भी कर ली ,मगर उनकी पूरी चकबंदी व्यवस्था को धत्ता बताते हुए, हूजी का एक आतंकी भेस बदलकर, प्राचीन हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रवेश कर लिया ।और सिर्फ प्रवेश ही नहीं किया,उसने वहां रखी ,ठंडे पानी की मशीन में घातक आरडीएक्स वाले बम को भी, टाइमर सेट कर लगा दिया ।उसके बाद वह सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए वह मंदिर से बाहर निकल भी आया ।लेकिन अयोध्या से बाहर निकलने के क्रम में ही पुलिस की नजर उस पर पड़ गई ।पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया ।और कड़ी पूछताछ के बाद उसने हनुमानगढ़ी मंदिर में बम फिट करने की बात स्वीकार कर ली। हनुमानगढ़ी मंदिर में बम की बात को जानकर सभी पुलिस वालों के हाथ पैर फूल गए ।आनंन-फानन में मंदिर से सभी श्रद्धालुओं को तुरंत निकाल लिया।और मंदिर को सील करके तलाशी अभियान शुरू कर दिया ।  इस काम को अंजाम देने की जिम्मेदारी,उत्तर प्रदेश पुलिस के  तेज तर्रार अधिकारी, श्री अविनाश मिश्रा के नेतृत्व में एक बम स्क्वायड दस्ते को दिया गया ।इस दस्ते ने मंदिर के चप्पे-चप्पे की छानबीन शुरू कर दी। मगर बम का पता नहीं चला।
     कि तभी अचानक एक पुलिस वाले ने कहा, सर ठंडे पानी मशीन के पास एक छोटा सा बंदर बैठा है, और वह मशीन से निकली कुछ बिजली के तारों को कुतर रहा है ।इंस्पैक्टर अविनाश मिश्रा वहां पहुंचे ,और उन्होंने भी देखा कि एक   बंदर बिजली के दो तारों को,जो पानी के मशीन से निकल रही है ,को कुतर रहा है । अविनाश मिश्रा ने उसको हटाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं हटा। अंत में उन्होंने बंदर की तरफ केले फेंके। इसके बाद बंदर तार को, छोड़कर केले उठा लिए ।
उसके हटते ही बम स्क्वायड दस्ते ने, ठंडे पानी के मशीन को खोला,बम उसी में था ।मगर बम स्क्वायड दस्ते ने इंस्पैक्टर अविनाश को कहा,-"सर,बम तो डिफ्यूज हो चुका है,वह भी फटने से मात्र तीन सेकंड पहले"।
   यानी उस दिन, उस छोटे से बंदर ने, बम के तारों को काटकर बम को फटने से 3 सेकंड पहले ही डिफ्यूज करके, पूरी अयोध्या नगरी को तबाही से बचा लिया ।इसके बाद इंस्पैक्टर अविनाश उस बंदर खोजने उसके पीछे आए ।मगर वह बंदर हनुमानगढ़ी मंदिर के शिखर पर चढ़ बैठा।
ऐसा लग रहा था मानो स्वयं हनुमान जी
ही,छोटे से बंदर का रूप लेकर अपने प्रभु श्री राम के नगरी को बचाने आ गए हो। मानो वह कह रहे हो कि ,"मेरे होते हुए किसकी हिम्मत है कि,प्रभु श्री राम की नगरी को दहला सके "।      

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